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कवि संगम त्रिपाठी हिंदी के लिए प्रेरणादाई काम कर रहे हैं

हिंदी भारत की प्रमुख भाषाओं में से एक है और बहुत बड़े क्षेत्र में बोली जाती है। उसके बावजूद हिंदी को जो महत्व मिलना चाहिए था वह अभी तक नहीं मिला है। जनमानस व शासन के उदासीन रवैए के कारण हिंदी की यह दशा हुई है।
आज उच्च वर्ग से लेकर मध्यम वर्ग के परिवार अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा प्रदान करने हेतु लगे हुए है जिसके परिणामस्वरूप अंग्रेजी स्कूल मनमाने ढंग से फीस वसूल रहे हैं और तो और कई स्कूलों में हिंदी बोलने की पाबंदी भी है। जबकि अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने वाले बच्चे बहुत कम प्रतिशत में ही भविष्य में आगे बढ़ पाते है जिसका मुख्य कारण घर परिवार व समाज में अंग्रेजी का न जानना है फिर भी लोगों में अपने बच्चे को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में दाखिला कराने का जुनून सवार है।
कवि संगम त्रिपाठी हिंदी को उसका सम्मान दिलाने व प्रचार प्रसार में लगे है और इसी दिशा में निरंतर प्रयास कर रहे है आवश्यकता है कि आमजन इस अभियान से जुड़े और अपनी भाषा को स्वयं महत्व दे जिससे सरकार मजबूर होकर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे और नौनिहालों को अपनी भाषा में शिक्षित प्रशिक्षित किया जाए।

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